इन सब तत्वों के साथ विटामिन भी आवश्यक मात्रा में देने होंगे, तभी गर्भवती युवती के आहार की समुचित आवश्यकता पूरी हो पाएगी। गर्भवती युवती के लिए आहार का विशेष ध्यान रखना पड़ता है ताकि उसका अपना शरीर ठीक बना रहे, उसका स्वास्थ्य न बिगड़े। उसके अनेक अंगो के विस्तार या बढ़ोतरी में कोई रुकावट न आए। उसके गर्भस्थ शिशु को शरीर-निर्माण तथा शरीर के विकास के लिए उचित व पौष्टिक भोजन मिलता रहे। आहार ऐसा हो कि होने वाली मां तथा होने वाले बच्चे, दोनों को स्वस्थ शरीर बनाने या बनाए रखने के लिए कोई भी कठिनाई न हो। हमने इससे पूर्व प्रोटीन, कार्बोज बसा, खनिज लवणयुक्त आह्वर को विस्तार से समझ लिया है तथा इन सबकी उपयोगिता को जान लिया है। अब, हम विटामिनों की विस्तृत जानकारी जानेंगे।
विटामिनों का महत्व || Importance of Vitamin
during pregnancy in Hindi ||
यह कहना अनुचित न होगा कि गर्भवती युबती को विटामिनयुक्त भोजन देना अत्यंत आवश्यक है। यह उसके स्वाथ्य को ठीक रखेंगे। पेट में पल रहे शिशु के शरीर-निर्माण व इसके विकास में पूरा सहयोग देंगे। यदि किसी कारण गर्भवती के आहार में विटामिनों की कमी आने लगे तो उसका अस्वस्थ हो जाना, बच्चे के शारीरिक विकास के लिए बाधा बन जाएगा। अतः गर्भवती नारी को भी सचेत रहना चाहिए, उसके परिवारजनों को भी ध्यान देना चाहिए, अन्यथा प्रसव के समय कुछ भी असुखद देखने को मिल सकता है। चाहे कुछ भी हो, शरीर के लिए विटामिनों के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। आइए एक-एक विटामिन को अलग-अलग समझें व जानें।
विटामिन ‘ए’ || Benefits of Vitamin ‘A’ during pregnancy ||
विटामिन 'ए' का अपना विशेष महत्त्व है। यह कुछ विशेष पदार्थों
में पाया जाता है। इसकी कमी हो जाने पर शरीर को अनेक कठिनाइयां सहनी पड़ती है।
- विटामिन 'ए' मस्तिष्क तथा स्नायु प्रणात्ञी को बनाने में सहयोगी होता है व शक्ति देता है।
- विटामिन 'ए' तंतुओं को पुष्ट करता है।
- विटामिन 'ए' से शरीर का सही विकास होता है।
- मांसपेशियों को शक्ति प्रदान कर, पुष्ट करता है।
- यदि विटामिन 'ए' की कमी हो जाए तो यह बच्चे के लिए बहुत खतरनाक होता है। उसके अंगों के विकास में कहीं-न-कहीं कोई त्रुटि रह जाती है।
कैसे प्राप्त होता है विटामिन 'ए' ? || Sources of Vitamin ‘A’ during pregnancy in Hindi ||
किसी भी प्राणी के लिए विटामिन 'ए’ अत्यंत आवश्यक है, जैसा कि ऊपर लिखा है। गर्भवती नारी तथा उसके गर्भस्थ बच्चे के लिए तो विशेष रूप से, इसे पाने के लिए अंडा, मांस, मछली का तेल (मासाहारी भोजन) बहुत लाभकारी रहता है। इसे घी, मक्खन, मलाई, हरे फल तथा सब्जियों से भी प्राप्त किया जाता है। गोभी, पता गोभी, गाजर खिलाते रहने से विटामिन 'ए' की कमी नहीं आती।
विटामिन ‘बी’ || Benefits of
Vitamin ‘B’ during pregnancy ||
जैसे विटामिन 'ए' जरूरी है, वैसे ही विटामिन “बी” भी जरूरी है। बल्कि कई बार विटामिन 'बी' तो गर्भवती नारी व उसके गर्भस्थ बच्चे के लिए और
भी आवश्यक माना जाता है। सभी विटामिनों का अलग- अलग महत्व होता है।
- विटामिन ‘बी' हमारे शरीर में स्थित गुर्दों, हृदय के लिए बहुत जरूरी है।
- हमारी पाचन ग्रंधियों को दृढ़ करना विटामिन 'बी' का विशेष कार्य है। हमारी स्मायु प्रणाली को विटामिन 'बी' ठीक करता है, सुचारु करता है।
- मस्तिष्क को ठीक प्रकार से कार्य करने के योग्य बनाने के लिए, इसे स्वस्थ तथा पुष्ट रखने के लिए विटामिन “बी” का सेवन जरूरी है।
- जिन्हें भूख कम लगती हो, उन्हें भी विटामिन 'बी' युक्त
आहार दिया जाता है। विशेषकर गर्भवती को ताकि वह खूब खा सके। खूब पचा सके। अपने
शरीर तथा गर्भस्थ शिशु की भी रक्षा कर सके।
- मांसपेशियों को खूब मजबूत करने के लिए भी विटामिन “बी' सहयोग देता है।
- शरीर में कभी भी किसी रोग का आक्रमण हो सकता है। शरीर में इसका प्रतिरोध करने की ताकत होनी चाहिए। यह विटामिन ‘बी' युक्त आहार सेबन करने से होती है। गर्भवती युवती के लिए तो यह इसलिए भी जरूरी है ताकि वह स्वयं को और अपने गर्भस्थ बच्चे को रोगों से बचा सके।
कहां से पाएं विटामिन “बी” || Sources of Vitamin ‘B’ during pregnancy in Hindi ||
विटामिन “बी” युक्त पदार्थ हैं-
(1) अंडा,
(2) मांस,
(3) दूध,
(4) अंगूर,
(5) गोभी,
(6) पत्ता गोभी,
(7) गाजर,
(8) बैंगन। इनके अतिरिक्त अनेक फल तथा हरी सब्जियां।
विटामिन ‘सी’ || Benefits of
Vitamin ‘C’ during pregnancy ||
हमारे भोजन में, विशेषकर गर्भवत्ती स्त्री के लिए विटामिन ‘सी’ का विशेष महत्व होता है। इसका
प्रयोग अत्यंत जरूरी है, तभी तो हम अपने शरीर
को स्वस्थ रख सकते हैं।
- हड्डियों तथा दांतों के सही निर्माण के लिए यह अन्य विटामिनों के साथ मिलकर पुष्टि प्रदान करता है।
- कई बार पेशाब में परेशानी आती है। इसके लिए यदि विटामिन 'सी' युक्त भोजन किया जाए तो यह दिक्कत दूर हो जाती है।
- रक्त को शुद्ध रखने में विटामिन 'सी” का विशेष योगदान होता है।
- रक़्त-स्राव को रोकने या कम करने में भी विटामिन 'सी' बहुत काम की चीज है।
- यदि शरीर में विटामिन 'सी” की कमी न हो तो स्कर्वी रोग का भय नहीं होता। इसलिए विटामिन 'सी' उपयुक्त मात्रा में लेते रहना चाहिए।
जिस किसी के शरीर में विटामिन 'सी' की कमी हो तो-
(क)
शरीर का रंग पीला होने लगता है।
(ख)
शरीर का विकास रुक जाता है।
(ग)
कुछ भी खाने को जी नहीं करता।
(घ)
चेहरे की कांति गायब हो जाती है।
(ड)
दांत-मसूढ़े फूल जाया करते हैं।
(च)
शरीर के अनेक जोड़ों में दर्द-पीड़ा बनी रहती है।
(छ)
सांस लें तो मुंह से बदबू आती है।
(ज)
मन किसी काम में नहीं लगता।
(झ)
विटामिन 'सी' की कमी से सदा
चिड़चिड़ापन रहता डै।
(ज)
अनेक प्रकार के विकार क्षरीर को घेर लेते हैं।
विटामिन सी युक्त पदार्थ देने से शिशु की रचना सुव्यवस्थित होती है।
कहां से मिलता है विटामिन 'सी'
|| Sources
of Vitamin ‘C’ during pregnancy in Hindi ||
विटामिन 'सी' हमें निम्नलिखित पदार्थों से प्राप्त होता है-
(1) आंवला,
(2) संतरा,
(3) टमाटर,
(4) करमकल्ला,
(5) नीबू,
(8) मौसमी,
(7) हरी सब्जियां,
(8) अमरूद,
(9) पपीता,
(10) अम्ल वाले सभी फल,
(11) अंगूर आदि
विटामिन ‘डी’ || Benefits of
Vitamin ‘D’ during pregnancy ||
विटामिन 'डी' हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक है। गर्भवती नारी
के लिए, उसके शरीर में गर्भस्थ बच्चे के लिए विटामिन 'डी' युक्त भोजन अनिवार्य होता हैं।
- हमारे शरीर की हड्डियों को पुख्ता करने के लिए विठामिन ‘डी’ की बड़ी आवश्यकता होती है।
- जिनके शरीर में, भोजन में विटामिन 'डी' की कमी होती है उनकी हड्डियां बेजान-सी हो जाती हैं। टेढ़ी-मेढ़ी बनी रहती हैं। इससे कमजोरी और कुरूपता आ जाती है।
- हड्डियों की निर्माण के लिए, विकास के लिए फास्फोरस, चूना तथा कैल्शियम ये तीन तत्व बहुत जरूरी होते हैं।
- यदि ये तीनों तत्व हों किंतु विटामिन “डी” की कमी हो तो शरीर के तंतु इन खनिज पदार्थों को स्वीकार ही नहीं करते। अतः विटामिन 'डी' बहुत ही जरूरी है। जिसके शरीर में विटामिन 'डी' की कमी हो, उसका रंग पीला पड़ जाता है।
शरीर में विटामिन 'डी' की कमी ही तो || Effect of Vitamin ‘D’ deficiency during pregnancy ||
(क)
शरीर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
(ख)
दांतों में मजबूती नहीं रहती।
(ग)
शिक्षुओं के दांत समय पर नहीं निकल पाते
(घ)
हड्डियां टेड़ी हो जाती हैं।
(ड)
सूखे रोग का भय बना रहता है।
(च)
मिरगी रोग घेर लेता है।
(छ)
विटामिन 'डी' की कमी के कारण हृदय रोग
होने का भय बना रहता है।
(ज)
जिनके शरीर मे भोजन आहार मे विटामिन डी की कमी
रहती है उन्हें क्षय रोग भी हो सकता है।
(झ) निमोनिया
रोग होने का डर बना रहता है। बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं।
(ट) बालों का गिरते रहना-आम वात हो जाती है।
(ठ)
आंतों को अनेक छोटे-छोटे रोग घेर कर जीना दूभर कर देते है।
कहां से मिलता है विटामिन 'डी'
|| Sources
of Vitamin ‘D’ during pregnancy in Hindi ||
- विटामिन 'डी' को प्राप्त करने
का सबसे सुगम रास्ता, बल्कि बिना पैसों का साधन है 'धूप” । इसे सेंकना,
पीठ से लेना, धूप में बैठकर तैल मालिश करना विटामिन
'डी' को प्रचुर मात्रा में बिना कष्ट,
बिना कोशिश, बिना झंझट के पा लेना है।
- पालक, करमकल्ला, जई आदि से विटामिन 'डी' मिलती है।
- मांसाहारी भोजन में अंडे, मछली गिने जाते हैं।
- मक्खन, घी से भी विटामिन 'डी' प्राप्त होता है। इनसे भी विटामिन 'डी' प्राप्त कर सकते हैं।
- खाद्य पदार्थों (अनाज आदि से) यह बहुत कम प्राप्त होता है।
विटामिन ‘ई’ || Benefits of
Vitamin ‘E’ during pregnancy ||
चालीस वर्ष की
आयु के पश्चात् तो विटामिन “ई” की सबको आवश्यकता है।
गर्भवती युवती किसी भी आयु की हो, उसके लिए यह अत्यंत जरूरी है
- अपने हृदय को मजबूत बनाने के लिए विटामिन “ई” को खाने की सलाह दी जाती है।
- जिस गर्भवती स्त्री के शरीर में विटामिन ‘ई’ की कमी हो, उसके गर्भस्थ बच्चे के गिरने का भय रहता है।
- चूंकि गर्भवती को अपने पेट में पल रहे बच्चे को पालना होता है इसलिये उसके भोजन में विटामिन “ई” की कमी न आने दें।
- विटामिन ई' का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे यौन संबंधी रोगों का जन्म हो जाता है।
- पुरुष विटामिन 'ई” की कमी के कारण नपुंसक हो जाते हैं।
- स्त्रियों को वियमिन ‘ई' की कमी बांझ बना देती है।
- गर्भपात होने का डर भी बना रहते है।
शरीर में विटामिन 'डी' की कमी से क्या होता है ? || Effect of Vitamin ‘E’ deficiency during pregnancy ||
विटामिन “ई” की कमी के कारण—
(क)
यह नामर्दी ला
देता है।
(ख)
बांझपन का कारण
बनता है।
(ग)
गर्भ गिर सकता
है।
(घ)
शरीर में खतरनाक
फोड़े-फुंसियां हो सकते हैं।
(ङ)
लिंग छोटा हो
जाता है। इससे गृहस्थ जीवन बिगड़ सकता हे।
(च) हृदय रोग हो जाने का डर रहता है।
विटामिन 'ई' पाने के साधन || Sources
of Vitamin ‘E’ in Hindi
इसे हम प्राप्त कर सकते हैं-
(1) गाजर,
(2) प्याज,
(3) करमकल्ला,
(4) लहसुन,
(5) केला,
(6) सेव,
(7) शहद,
(8) अंकुरित चना,
(9) अंकुरित गेहूं आदि से।
विटामिन ‘के’ || Benefits of
Vitamin ‘E’ during pregnancy ||
अब तक हमने विटामिन ए, बी, सी, डी, ई को जान लिया है।
इनके सोतो को भी जान लिया है। अब हम विटामिन 'के’ के बारे में जानते हैं।
- डाक्टरों का मानना है कि विटामिन 'के' अत्यंत आवश्यक हैं। इसकी कमी बड़ी खतरनाक हो सकती है। अतः गर्भवती माताएं सजग रहे।
- इसकी कमी से बच्चों में थ्रोम्बिन का निर्माण पूरी तरह नहीं हो सकता ।
- बच्चा पैदा होने से पूर्व ही गर्भवती युवती को विटामिन के का इंजेक्शन लंगवा देना चाहिए।
- इसकी दवा भी है। वह भी ख़िलाई जा सकती है।
शरीर में विटामिन 'के' की कमी से क्या होता
है ? || Effect
of Vitamin ‘K’ deficiency during pregnancy ||
विटामिन 'के’ की कमी के कारण—
(क)
छोटा- सा घाव हो जाने से अत्यधिक रक्त बहने लग जाता है ।
(ख)
घाव से इतना
अधिक रक्त बह सकता है कि रुकता नहीं, जोमृत्यु का कारण बन सकता है।
(ग) इसकी कमी के कारण अनेक त्वचा के रोग हो सकते ढैं
कहां से पा सकते हैं विटामिन 'के'? || Sources of Vitamin ‘K’ in Hindi ||
इसके निम्नलिखित
स्रोत हैं-
(1) पत्ता गोभी,
(2) फूल गोभी,
(3) दूध,
(4) टमाटर,
(5) मक्खन,
(6) हरी पत्ती बाली सब्जियां,
(7) आलू,
(8) अंडे की जर्दी,
(9) आंतों में पाए जाने वाले कीटाणु से भी विटामिन 'के' मिलता है
(10) विटमिन 'के' की गोलियां तथा
इंजेक्शन भी मिलते हैं।